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।।हर-हर महादेव।।

आचार्य (डॉ.) श्री भारतभूषण पाण्डेय,

                                                         22 अगस्त 1974 अधिक भाद्रपद शुक्ल पक्ष पंचमी तदुपरि षष्ठी तिथि, वि.सं. 2031 धनुलग्न, तुलाराशि (चित्रा चतुर्थ चरण में) गुरुवार को आरा (बिहार) में जन्मे आचार्य भारतभूषण बचपन से ही कुशाग्र बुध्दि और गंभीर प्रकृति के बालक थे। सामान्य बालकों की तरह ये कभी भी खेलकूद या अन्य विधाओं की ओर आकर्षित नहीं हुए। अपने पितामह साकेतवासी श्रीरामनगीना पाण्डेयजी से बाल्यावस्था में ही गायत्री, श्रीहनुमानजीकी उपासना तथा श्रीविष्णुसहस्त्रनाम स्तोत्र, गोविंद दामोदर स्तोत्र, श्रीरामरक्षा स्तोत्र और सुन्दरकांड आदि के परायण में प्रेरित-प्रवृत्त हुए। हितनारायण क्षत्रिय उच्च विद्यालय, आरा से विद्यालयीय शिक्षा 14 वर्षों की आयु  में सम्पन्न हुयी।
इस बीच रामायण सम्मेलन के मंच से प्रवचन और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शाखा से सामाजिक जीवन की शुरुआत हो चुकी थी। किशोरावस्था में प्रवेश करते ही श्री भारतभूषण अपने क्षेत्र के लोकप्रिय एवं आदरणीय व्यक्तित्व के रूप में प्रतिष्ठित हो चुके थे। इनके प्रवचनों और श्रीमद्भागवत कथाओं को सुनने के लिए विश्वविद्यालय के प्राध्यापकों, न्यायिक-प्रशासनिक पदाधिकारियों समेत तमाम बुध्दिजीवियों व राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं की भीड़ भी श्रध्दालु जनमानस के साथ-साथ इकटठ्ठी होने लगी। इन्होने हर प्रसाद दास जैन महाविद्यालय, आरा से संस्कृत में एम0ए0 तथा महाराजा विधि महाविधालय, आरा से विधि स्नातक (एलएल0बी0) की पढ़ाई पूरी की। वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय, आरा से ’’भागवत पुराण में दार्शनिक तत्त्वों का समीक्षात्मक अध्ययन’’ शीर्षक शोध- प्रबंध पर इन्हें पीएच0डी0 की उपाधि प्राप्त हुयी। इन्होने प्रयाग संगीत समिति से संबध्द श्रीहनुमत् संगीतालय, बड़ी मठिया, आरा में गायनाचार्य पंडित देवनन्दन मिश्र से संगीत शिक्षा तथा ’’संगीत-प्रभाकर’’की उपाधि भी प्राप्त की है। बचपन से ही धर्म, संस्कृति और राष्ट्र के प्रति समर्पित जीवन तथा रामायण, महाभारत, गीता, उपनिषद, पुराण आदि के अध्येता रहे। हिन्दी साहित्य का भी पूरा अध्ययन कर इन्होंने आरा में अध्ययन काल में 10 वर्षों तक नियमित गीता-प्रवचन किया। इस क्रम में देशयात्रा पर निकले संत आचार्यश्री विनोबा भावेजी के शिष्य श्रीबालविजयजी भी वीर कुंवर सिंह पार्क, आरा में इनके प्रवचन-स्थल पर पधारे और प्रभावित हुए थे। श्री पांडेय 16 वर्षों की आयु मे ही राष्ट्रीय नेता और विचारक प्रो0 बलराज मधोकजी के सम्पर्क में आए। यह संबंध प्रो0 मधोक के जीवनपर्यन्त बना रहा और उनके ’’अखिल भारतीय जनसंघ’’ के प्रदेश मंत्री, प्रदेश महामंत्री तथा प्रदेश अध्यक्ष (बिहार) के दायित्वों का सफलतापूर्वक 16 वर्षों तक निर्वहन किया और जनसंघ के टिकट पर विभिन्न क्षेत्रों में प्रत्याशियों को खड़ा किया, अभियान चलाया, पार्टी को जीवित और सक्रिय किया। श्री भारतभूषण पाण्डेय ने स्वयं तीन बार आरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से एवं दो बार आरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा है और जनसंघ को जीवन्त तथा नयी पहचान दिलाने का कार्य किया है जिसकी सराहना देश के विभिन्न क्षेत्रों की महान् विभूतियों ने की है। इन्होंने देश के महान् सन्तों, समाजसेवियों और विद्धानों का निकट सम्पर्क तथा सानिध्य प्राप्त किया है और पूरे भारतवर्ष तथा नेपाल के कुछ भागों का विस्तृत भ्रमण और प्रवचन किया हैं। धर्मसम्राट स्वामी श्रीकरपात्री महाराज से प्रेरित-प्रभावित श्री भारतभूषण पाण्डेय अनन्त श्रीविभूषित गोवर्धनमठ पुरी पीठाधीश्वर जगद्गगुरु- शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंद सरस्वतीजी महाराज के शिष्य हैं। भगवान् आदि शंकराचार्य के दर्शन एवं जीवन से प्रभावित ये राम और राष्ट्र की उपासना में निरत तथा व्यासपीठ और राजगद्दी के बीच शास्त्रीय समन्वय के लिए अभियानरत हैं। इनकी दृढ़ता, सिदृन्तनिष्ठा और राष्ट्र तथा शास्त्र के प्रति आग्रह पर जनमानस में विश्वास और आदर की भावना है। सिद्धान्तों के लिए संघर्षरत रहने को ही सफलता मानने वाले आचार्य श्रीभारतभूषणजी महाराज राष्ट्र के सुख्यात श्रीमद्भागवत-रामायण के वक्ता हैं किन्तु लगभग 35 वर्षों से मंच पर रहने के बावजूद अयाचक वृत्ति तथा सौम्य-सरल एवं सहिष्णु व्यक्तित्व के रूप में ही जाने जाते हैं। सम्प्रति ये अखिल भारतीय जनसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं तथा अध्यात्मिक – सामाजिक कार्यों को ’’श्री सनातन शक्तिपीठ संस्थानम्’’ (पंजीकृत) के माध्यम से करते हैं। ’’सनातन-सुरसरि’’ नामक मासिक पत्रिका भी इनके द्वारा सम्पादित-प्रकाशित होती है।
इनके प्रवचनों में प्राचीन से आर्वाचीन का अद्भुत और समीचीन संयोग होता है। अखिल भारतीय सारस्वत परिषद् ने इन्हें महामना पंडित मदनमोहन मालवीय जयन्ती, 2016 के अवसर पर सारस्वत, सम्मान से सम्मानित करते हुए मालवीय परम्परा का राष्ट्रीय व्यक्तित्व घोषित किया जो महामना की तरह ही एक साथ श्रीमद्भागवत-वक्ता, अध्यापक, अधिवक्ता , सम्पादक, संगठक और राजनेता के साथ-साथ कट्टर ईश्वर भक्त और देशभक्त हैं।

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सामाजिक गतिविधियाँ –

1. 1983 से 1990 माधव सायं शाखा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का स्वयंसेवक, अनन्तर शाखा कार्यवाह, संघ का 88-90 में नगर विद्यार्थी प्रमुख का दायित्व।

2. नवम्बर 1990 से 12 जनवरी 2000 तक विश्व हिन्दू परिषद् का जिला सहमंत्री (दो बार), जिला उपाध्यक्ष एवं मध्य बिहार प्रांत का सत्संग प्रमुख का दायित्व (प्रतिबंध काल में भी अत्यन्त सक्रियता से निर्वाह) ।

3. 24 जनवरी 2000 को अखिल भारतीय जनसंघ के प्रत्याशी के रूप में आरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन।

4. 6 मई 2000 को आरा में बिहार प्रदेश जनसंघ का मंत्री का दायित्व प्रो0 बलराज मधोक जी द्वारा घोषित।

5. 21-22 अक्टूबर 2000 को जनसंघ के राष्ट्रीय अधिवेशन लखनऊ में बिहार प्रदेश का महामंत्री का दायित्व बलराजजी द्वारा प्रदत्त।

6. 7 जुलाई 2004 को बिहार प्रदेश जनसंघ का अध्यक्ष श्री बलराज मघोक जी द्वारा बनाया गया।

7. फरवरी 2005 तथा 2010 बिहार विधानसभा चुनावों तथा 2009 एवं 2014 संसदीय चुनावों में आरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से उम्मीदवार।

8. अपने नेतृत्व में 2000 से 2015 तक प्रत्येक चुनावों में जनसंघ प्रत्याशियों की उपस्थिति सुनिश्चित तथा विशेष क्षेत्रों में सघन जन सम्पर्क बौध्दिक- वैचारिक सक्रियता समाचार-पत्रों एवं सभाओं-सेमिनारों के माध्यम से लेखन एवं भाषण आदि। 2001 से 2008 तक पटना उच्च न्यायालय में बतौर अधिवक्ता कार्य किया। क्षेत्र में चर्चित वक्ता-लेखक-संगठक।

9. श्रीरामजन्मभूमि आन्दोलन, शिलापूजन, राम रथ यात्रा, एकता-यात्रा कश्मीर सहित अन्य सभी आन्दोलनों में उत्साहपूर्ण सहभागिता। समाचारपत्रों में पत्र व निबंध लेखन तथा राष्ट्रीयता की शिक्षा। महाविद्यालय के दिनों में विद्यार्थी परिषद् की आरा में पुनर्स्थपना में महत्वपूर्ण भूमिका।

10. अनन्त श्रीविभूषित पुरी पीठाधीश्वर श्रीमज्जगद्गगुरु – शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानंदसरस्वतीजी महाराज का कृपापात्र शिष्य। प्रातःस्मणीय धर्मसम्राट् स्वामी श्रीकरपात्रीजी महाराज का प्रशिष्य।

11. 1983-84 (बाल्यकाल) से ही श्रीमद्भागवत-रामायण-गीता -मानस आदि ग्रन्थों पर प्रवचन। 1990 से देश के विभिन्न भागों में प्रवचन।

12. मार्च 1992 से पटना के पद्मश्री डॉ. एस.एन. आर्य, डॉ. दुखनराम, न्यायमूर्ति के.बी.एन. सिंह, आभास कुमार चटर्जी (आई.ए.एस.), श्री केशव प्रताप सिंह आदि के द्वारा स्थापित अखिल भारतीय राष्ट्रवादी हिन्दू मंच में विभिन्न दायित्वों एवं केन्द्रीय कार्यकारिणी सदस्य तथा मंत्री का दायित्व निर्वहन।

13. शारदीय नवरात्र 1988 में योग, वेदान्त, दर्शन, साहित्य और भगवद्भक्ति का प्रचार-प्रसार करने के लिए “श्री सनातन शक्तिपीठ संस्थानम” की स्थापना की और सेमिनार, संगोष्ठी आदि कार्यक्रमों का अनेक स्थानों सहित आरा (बिहार) में विशेष आयोजन अनवरत आयोजित। अध्यक्ष का दायित्व निर्वहन।

14. दिसंबर 2013 से ’’सनातन-सुरसरि’’ नामक पत्रिका का प्रकाशन, संस्थापक-सम्पादक का दायित्व। गीताभवन इंदौर में पूज्य श्रीमद्जगद्गुरुशंकराचार्य पूरी महाराज तथा श्री रामस्नेही संप्रदायाचार्य के करकमलों से विमोचन।

15. 7 जुलाई 2014 को नई दिल्ली विज्ञान-भवन में भारत – सरकार द्वारा आयोजित गंगा-मंथन में पुरी शंकराचार्यजी का प्रतिनिधित्व किया एवं आध्यात्मिक-नेता के रूप में सम्बोधित किया।

16. 19-20-21 सितम्बर 2014 को नई दिल्ली में परमावन दलाई लामाजी द्वारा आयोजित ’’इण्टरफेथ’’ सम्मेलन में गोवर्धनमठ पुरी शंकराचार्यजी प्रतिनिधि, राष्ट्रोत्कर्ष – अभियान के राष्ट्रीय संयोजक एवं वैदिक सनातन धर्म के प्रवक्ता के रूप में भाग लिया।

17. 12 मार्च 2016 को श्रीश्री रविशंकरजी द्वारा ’द आर्ट ऑफ लिविंग’ (एओएल) के 35वें स्थापना-समारोह के अवसर पर आयोजित विश्व-सम्मेलन एवं धर्माचार्यों के सन्त-सम्मेलन में यमुना तट दिल्ली में मुख्य मंच पर प्रतिनिधित्व किया। माघ मेला प्रयाग में 2015 और 2016 में सनातन धर्म संसद में प्रमुख वक्ता के रूप में प्रभावी उद्बोधन।

18. श्री मोरारी बापूजी समेत अनेक पूज्य प्रवक्ताओं-संतों-महान्तों द्वारा समय-समय पर सम्मान प्राप्त ।

19. 27 सितम्बर 2016 को “अखिल भारतीय जनसंघ” की राष्ट्रीय कार्यसमिति में महासचिव एवं पूर्व राज्यसभा सांसद् श्रीप्रफुल्ल गोराडिया द्वारा सर्वोच्च समिति का सदस्य नियुक्त। अखिल भारतीय जनसंघ का राष्ट्रीय सचिव का दायित्व, पार्टी में सबसे वरिष्ठ नेता और श्रीगोराडिया के बाद दूसरे स्थान पर पदाधिकारी निर्वाचित।

20. 28 दिसम्बर 2016 को अखिल भारतीय सारस्वत परिषद् द्वारा महामना मालवीय सारस्वत-सम्मान से राष्ट्रीय नेता श्रीसंजय भाई जोशी के हाथों रामगढ़ (कैमूर) में सम्मानित।

21. भारत-नेपाल में सघन भ्रमण एवं कथा-प्रवचन। बिहार, झारखंड, पं. बंगाल, ओडीसा, उत्तर-प्रदेश, मध्य-प्रदेश, छत्तीसगढ़ आदि प्रान्तों में रामायण-भागवत कथाओं का प्रभावी आयोजन एव सघन जन-सम्पर्क। गोरक्षा, शास्त्ररक्षा तथा राष्ट्रक्षा हेतू सन्नध्द।

22. 15 मार्च 2017 को नई दिल्ली में “अखिल भारतीय जनसंघ का राष्ट्रीय अध्यक्ष निर्वाचित”

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